These Sections of IPC seem to be Cyber Crime (साइबर क्राइम करने पर लगती हैं आईपीसी की ये धाराएं)

जुर्म की दुनिया में अपराधी हमेशा कानून को गुमराह करने के लिए नए-नए तरीके ईजाद करते हैं. आए दिन उनके कारनामे खबरों की सुर्खियां बनते हैं. ऐसा ही एक जुर्म है साइबर क्राइम. जिसे अंजाम देने वाले शातिर महफूज जगहों पर बैठकर बड़ी वारदातों को आसानी से अंजाम देते है. साइबर क्राइम के इन मामलों में आईपीसी की धाराएं इतनी सख्त हैं कि दोषी को मामूली जुर्माने से लेकर उम्रकैद तक हो सकती है.

क्या है साइबर अपराध (What is cyber crime ?)

towards-an-understanding-of-cyber-crime-final-3-638आज का युग कम्प्यूटर और इंटरनेट का युग है. कम्पयूटर की मदद के बिना किसी बड़े काम की कल्पना करना भी मुश्किल है. ऐसे में अपराधी भी तकनीक के सहारे हाईटेक हो रहे हैं. वे जुर्म करने के लिए कम्प्यूटर, इंटरनेट, डिजिटल डिवाइसेज और वर्ल्ड वाइड वेब आदि का इस्तेमाल कर रहे हैं. ऑनलाइन ठगी या चोरी भी इसी श्रेणी का अहम गुनाह होता है. किसी की वेबसाइट को हैक करना या सिस्टम डेटा को चुराना ये सभी तरीके साइबर क्राइम की श्रेणी में आते हैं. साइबर क्राइम दुनिया भर में सुरक्षा और जांच एजेंसियां के लिए परेशानी का सबब बन गया है.

साइबर क्राइम को लेकर सख्त कानून (Strict law on cyber crime)

Q1भारत में भी साइबर क्राइम मामलों में तेजी से इजाफा हो रहा है. सरकार ऐसे मामलों को लेकर बहुत गंभीर है. भारत में साइबर क्राइम के मामलों में सूचना तकनीक कानून 2000 और सूचना तकनीक (संशोधन) कानून 2008 लागू होते हैं. मगर इसी श्रेणी के कई मामलों में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), कॉपीराइट कानून 1957, कंपनी कानून, सरकारी गोपनीयता कानून और यहां तक कि आतंकवाद निरोधक कानून के तहत भी कार्रवाई की जा सकती है.

कई मामलों में लागू होता है आईटी कानून

( Many laws apply in IT law )

law-legal-buttonसाइबर क्राइम के कुछ मामलों में आईटी डिपार्टमेंट की तरफ से जारी किए गए आईटी नियम 2011 के तहत भी कार्रवाई की जाती है. इस कानून में निर्दोष लोगों को साजिशों से बचाने के इतंजाम भी हैं. लेकिन कंप्यूटर, इंटरनेट और दूरसंचार इस्तेमाल करने वालों को हमेशा सतर्क रहना चाहिए कि उनसे जाने-अनजाने में कोई साइबर क्राइम तो नहीं हो रहा है.

हैकिंगः धाराएं और सजा (Hacking: Sections and Punishments)

download (1)किसी कंप्यूटर, डिवाइस, इंफॉर्मेशन सिस्टम या नेटवर्क में अनधिकृत रूप से घुसपैठ करना और डेटा से छेड़छाड़ करना हैकिंग कहलाता है. यह हैकिंग उस सिस्टम की फिजिकल एक्सेस और रिमोट एक्सेस के जरिए भी हो सकती है. जरूरी नहीं कि ऐसी हैकिंग के दौरान उस सिस्टम को नुकसान पहुंचा ही हो. अगर कोई नुकसान नहीं भी हुआ है, तो भी घुसपैठ करना साइबर क्राइम के तहत आता है, जिसके लिए सजा का प्रावधान है. आईटी (संशोधन) एक्ट 2008 की धारा 43 (ए), धारा 66 – आईपीसी की धारा 379 और 406 के तहत अपराध साबित होने पर तीन साल तक की जेल या पांच लाख रुपये तक जुर्माना हो सकता है.

जानकारी या डेटा चोरी (Information or Data theft)

downloadकिसी व्यक्ति, संस्थान या संगठन आदि के किसी सिस्टम से निजी या गोपनीय डेटा या सूचनाओं की चोरी करना भी साइबर क्राइम है. अगर किसी संस्थान या संगठन के अंदरूनी डेटा तक आपकी पहुंच है, लेकिन आप अपनी उस जायज पहुंच का इस्तेमाल संगठन की इजाजत के बिना, उसके नाजायज दुरुपयोग की मंशा से करते हैं, तो वह भी इसी अपराध के दायरे में आएगा. कॉल सेंटरस् या लोगों की जानकारी रखने वाले संगठनों में इस तरह की चोरी के मामले सामने आते रहे हैं. ऐसे मामलों में आईटी (संशोधन) कानून 2008 की धारा 43 (बी), धारा 66 (ई), 67 (सी), आईपीसी की धारा 379, 405, 420 और कॉपीराइट कानून के तहत दोष साबित होने पर अपराध की गंभीरता के हिसाब से तीन साल तक की जेल या दो लाख रुपये तक जुर्माना हो सकता है.

वायरस, स्पाईवेयर फैलाना(Spreading viruses, spyware)

virusअक्सर कम्प्यूटर में आए वायरस और स्पाईवेयर को हटाने पर लोग ध्यान नहीं देते हैं. उनके सिस्टम से होते हुए ये वायरस दूसरों तक पहुंच जाते हैं. हैकिंग, डाउनलोड, कंपनियों के अंदरूनी नेटवर्क, वाई-फाई कनेक्शनों और असुरक्षित फ्लैश ड्राइव, सीडी के जरिए भी वायरस फैल जाते हैं. वायरस बनाने वाले अपराधियों की पूरी एक इंडस्ट्री है, जिनके खिलाफ वक्त बेवक्त कड़ी कार्रवाई होती रही है. लेकिन आम लोग भी कानून के दायरे में आ सकते हैं. अगर उनकी लापरवाही से किसी के सिस्टम में कोई खतरनाक वायरस पहुंच जाए और बड़ा नुकसान कर दे. इस तरह के केस में आईटी (संशोधन) एक्ट 2008 की धारा 43 (सी), धारा 66, आईपीसी की धारा 268 और देश की सुरक्षा को खतरा पहुंचाने के लिए फैलाए गए वायरस पर साइबर आतंकवाद से जुड़ी धारा 66 (एफ) भी लगाई जाती है. दोष सिद्ध होने पर साइबर-वॉर और साइबर आतंकवाद से जुड़े मामलों में उम्र कैद का प्रावधान है. जबकि अन्य मामलों में तीन साल तक की जेल या जुर्माना हो सकता है.

पहचान की चोरी (Identity theft)

identitytheftकिसी दूसरे शख्स की पहचान से जुड़े डेटा, गुप्त सूचनाओं वगैरह का इस्तेमाल करना भी साइबर अपराध है. यदि कोई इंसान दूसरों के क्रेडिट कार्ड नंबर, पासपोर्ट नंबर, आधार नंबर, डिजिटल आईडी कार्ड, ई-कॉमर्स ट्रांजैक्शन पासवर्ड, इलेक्ट्रॉनिक सिग्नेचर वगैरह का इस्तेमाल करके शॉपिंग या धन की निकासी करता है तो वह इस अपराध में शामिल हो जाता है. जब आप किसी दूसरे शख्स के नाम पर या उसकी पहचान का आभास देते हुए कोई जुर्म करते हैं, या उसका नाजायज फायदा उठाते हैं, तो यह जुर्म आइडेंटिटी थेफ्ट के दायरे में आता है. ऐसा करने वाले पर आईटी (संशोधन) एक्ट 2008 की धारा 43, 66 (सी), आईपीसी की धारा 419 लगाए जाने का प्रावधान है. जिसमे दोष साबित होने पर तीन साल तक की जेल या एक लाख रुपये तक जुर्माना हो सकता है.

ई-मेल स्पूफिंग और फ्रॉड ( E-mail spoofing and fraud )

hqdefaultअक्सर आपके इनबॉक्स या स्पैम बॉक्स में कई तरह के ईनाम देने वाले या बिजनेस पार्टनर बनाने वाले या फिर लॉटरी निकलने वाले मेल आते हैं. ये सभी मेल किसी दूसरे शख्स के ई-मेल या फर्जी ई-मेल आईडी के जरिए किए जाते हैं. किसी दूसरे के ई-मेल पते का इस्तेमाल करते हुए गलत मकसद से दूसरों को ई-मेल भेजना इसी अपराध की श्रेणी में आता है. हैकिंग, फिशिंग, स्पैम और वायरस, स्पाईवेयर फैलाने के लिए इस तरह के फर्जी ईमेल का इस्तेमाल अधिक होता है. ऐसा काम करने वाले अपराधियों का मकसद ई-मेल पाने वाले को धोखा देकर उसकी गोपनीय जानकारी हासिल करना होता है. ऐसी जानकारियों में बैंक खाता नंबर, क्रेडिट कार्ड नंबर, ई-कॉमर्स साइट का पासवर्ड वगैरह आ सकते हैं. इस तरह के मामलों में आईटी कानून 2000 की धारा 77 बी, आईटी (संशोधन) कानून 2008 की धारा 66 डी, आईपीसी की धारा 417, 419, 420 और 465 लगाए जाने का प्रावधान है. दोष साबित होने पर तीन साल तक की जेल या जुर्माना हो सकता है.

पोर्नोग्राफी ( Pornography )

government-of-india-ban-pornography-in-indiaइंटरनेट के माध्यम से अश्लीलता का व्यापार भी खूब फलफूल रहा है. ऐसे में पोर्नोग्राफी एक बड़ा कारोबार बन गई है. जिसके दायरे में ऐसे फोटो, विडियो, टेक्स्ट, ऑडियो और सामग्री आती है, जो यौन, यौन कृत्यों और नग्नता पर आधारित हो. ऐसी सामग्री को इलेक्ट्रॉनिक ढंग से प्रकाशित करने, किसी को भेजने या किसी और के जरिए प्रकाशित करवाने या भिजवाने पर पोर्नोग्राफी निरोधक कानून लागू होता है. दूसरों के नग्न या अश्लील वीडियो तैयार करने वाले या ऐसा एमएमएस बनाने वाले या इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से इन्हे दूसरों तक पहुंचाने वाले और किसी को उसकी मर्जी के खिलाफ अश्लील संदेश भेजने वाले लोग इसी कानून के दायरे में आते हैं. पोर्नोग्राफी प्रकाशित करना और इलेक्ट्रॉनिक जरियों से दूसरों तक पहुंचाना अवैध है, लेकिन उसे देखना, पढ़ना या सुनना अवैध नहीं माना जाता. जबकि चाइल्ड पोर्नोग्राफी देखना भी अवैध माना जाता है. इसके तहत आने वाले मामलों में आईटी (संशोधन) कानून 2008 की धारा 67 (ए), आईपीसी की धारा 292, 293, 294, 500, 506 और 509 के तहत सजा का प्रावधान है. जुर्म की गंभीरता के लिहाज से पहली गलती पर पांच साल तक की जेल या दस लाख रुपये तक जुर्माना हो सकता है लेकिन दूसरी बार गलती करने पर जेल की सजा सात साल तक बढ़ सकती है.

चाइल्ड पोर्नोग्राफी ( Child pornography )

child-pornography-jpgबच्चों के साथ पेश आने वाले मामलों पर कानून और भी ज्यादा सख्त है. बच्चों को सेक्सुअल एक्ट में शामिल करना या नग्न दिखाना या इलेक्ट्रॉनिक फॉर्मेट में कोई सामग्री प्रकाशित करना या दूसरों को भेजना भी इसी कानून के तहत आता है. बल्कि भारतीय कानून के मुताबिक जो लोग बच्चों से जुड़ी अश्लील सामग्री तैयार करते हैं, इकट्ठी करते हैं, ढूंढते हैं, देखते हैं, डाउनलोड करते हैं, विज्ञापन देते हैं, प्रमोट करते हैं, दूसरों के साथ लेनदेन करते हैं या बांटते हैं तो वह भी गैरकानूनी माना जाता है. बच्चों को बहला-फुसलाकर ऑनलाइन संबंधों के लिए तैयार करना, फिर उनके साथ यौन संबंध बनाना या बच्चों से जुड़ी यौन गतिविधियों को रेकॉर्ड करना, एमएमएस बनाना, दूसरों को भेजना आदि भी इसी के तहत आते हैं. इस कानून में 18 साल से कम उम्र के लोगों को बच्चों की श्रेणी में माना जाता है. ऐसे मामलों में आईटी (संशोधन) कानून 2009 की धारा 67 (बी), आईपीसी की धाराएं 292, 293, 294, 500, 506 और 509 के तहत सजा का प्रावधान है. पहले अपराध पर पांच साल की जेल या दस लाख रुपये तक जुर्माना हो सकता है. लेकिन दूसरे अपराध पर सात साल तक की जेल या दस लाख रुपये तक जुर्माना हो सकता है.

बच्चों और महिलाओं को तंग करना

(Teasing children and women)

क्या आपका बच्चा जादा गुस्सा करता हैआज के दौर में सोशल नेटवर्किंग साइट्स खूब चलन में हैं. ऐसे में सोशल नेटवर्किंग वेबसाइटों, ई-मेल, चैट वगैरह के जरिए बच्चों या महिलाओं को तंग करने के मामले अक्सर सामने आते हैं. इन आधुनिक तरीकों से किसी को अश्लील या धमकाने वाले संदेश भेजना या किसी भी रूप में परेशान करना साइबर अपराध के दायरे में ही आता है. किसी के खिलाफ दुर्भावना से अफवाहें फैलाना, नफरत फैलाना या बदनाम करना भी इसी श्रेणी का अपराध है. इस तरह के केस में आईटी (संशोधन) कानून 2009 की धारा 66 (ए) के तहत सजा का प्रावधान है. दोष साबित होने पर तीन साल तक की जेल या जुर्माना हो सकता है.

Lawyer Ravi Kashyap

 

अधिवक्ता रवि कश्यप ( Advocate Ravi Kashyap )

Call: +918090365041

Published by Advocate Ravi Kashyap

Ravi Kashyap Advocate & CMD (Chief Managing Director) AVenture Entrepreneurs Group हमारा प्रयास आपका आवास

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