Right to women self esteem ( स्त्री आत्मसम्मान के अधिकार )

Atamsamman-Hi-Samman-Ka-paryae-Hai

बलात्कार का अपराध क्या है ?

भारतीय दंड संहिता की धारा 376 के मुताबिक बलात्कार तब घटित होता है जब एक पुरुष किसी महिला के साथ सम्भोग करता है । ऐसा संभोग जो, जो उसकी इक्छा के विरुद्ध हो, अथवाबिना उसकी सहमति के,उसकीसहमति से , जब उसकी इस प्रकार की सहमति, उसे या उससे संबंधित किसी व्यक्तिके मृत्यु  का भय अथवा गंभीर चोट करने का भय दिखाकर किया गया हो, याउसकी सहमति से, जब पुरुष उसे धोखे में रखकर उसे यह विश्वास दिलाता है कि वह पुरुष उस महिला का वैधिक पति है या ,उसकी सहमति से, जो उसकी मानसिक पागलपन की वजह से हो, अथवा नशे की हालत में हो, अथवा नशे कीहालत में हो या जब वह अपनी सहमति से उत्पन्न होने वाले परिणामों को समझनेमें असमर्थ हो।सहमति या बिना सहमति के सम्भोग- जब महिला 16 साल से कम अवस्था में हो।

download (9)

संभोग का मतलब क्या है?
बलात्कार के अपराध में छेदन करना आवश्यक होता है – चाहे वह थोड़ा सा क्यों ना हो । छेदन की मात्रा कितनी है, इसका कोई महत्व नहीं होता है, यह आवश्यक नहीं कि योनि विदीर्ण हुई हो और वहां वीर्यपात होना चाहिए। बिना थोड़ा छेदन किए बलात्कार नहीं हो सकता है ।

 

पत्नी के साथ बलात्कार
भारतीय दंड संहिता की धारा 376 के मुताबिक जब कोई पुरुष अपनी सोलह साल से कम कीपत्नी के साथ सम्भोग करता है तो वह बलात्कार समझा जायेगा। यहां कानून कीनीति यह है कि वह अपरिपक्व अवस्था वाली बच्चियों को सम्भोग से सुरक्षाप्रदान करे।
नपुंसक बलात्कार नहीं कर सकता है।
सम्भोग करने में असमर्थ होने के कारण इस प्रकार के पुरुष को इस कृत्य का प्रयासकरने के लिए दोषी नहीं माना जा सकता है , लेकिन उसे धारा 354 के तहत अश्लीलव्यवहार करने के लिए दोषी ठहराया जा सकता है ।
बलात्कार के बाद बचाव
नजदीक के किसी भी पंजीकृत डॉक्टर से अपनी जांच कराएं। यह आवश्यक नहीं है कि वह डॉक्टर एक सरकारी डॉक्टर हो । जितनी जल्दी संभव हो सके, नजदीक के थाने में जाएं और अपनी प्रथम सूचना दर्ज कराएं। और नि:शुल्क प्रथम सूचना रिपोर्ट की कॉपी प्राप्त करें। यदि आवश्यक हो तो आप अपने वकील को भी साथ थाने चलने के लिए कहें। यह आपका मौलिक अधिकार है कि आप अपनी पसंद का वकील चुनें व उससे सलाह मशविरा करें।आप यह भी मांग करें कि जिस व्यक्ति ने आपके साथ बलात्कार किया है उसकी भी तुरंत डॉक्टरी जांच हो।यह सबूत के लिए मददगार होगा । जब तक आपका डॉक्टरी परीक्षण न हो जाय तब तक आप न तो कपड़े बदलें और न ही आप स्नान करें- इससे सबूत धुल जायेगा। अभियुक्त से प्राप्त जो भी सामान हों, जैसे कपड़े, चप्पल, चश्मा, घड़ी आदि को संभालकर रखें व उन्हें पुलिस की हिफाजत में सौंप दें। जिस स्थान पर यह अपराध घटित हुआ है उसकी यथावत स्थिति को बनाए रखें जब तक कि पुलिस अधिकारी उस स्थान की रिपोर्ट तैयार नहीं कर लेते हैं । उस स्थान की जांच के बाद जो रिपोर्ट तैयार की जाती है , वह किए गए अपराध के संबंध में हालात-सबूत के रुप में काम आयेंगे । आप जब पुलिस स्टेशन जाएं तो अपने किसी पुरुष मित्र या संबंधी को साथ ले लें।

जब पुलिस एफआईआर न दर्ज करे
अपनी शिकायत की कॉपी या प्रतिलिपि रजिस्टर्ड पोस्ट द्वारा जिला उपायुक्त अधिकारी (DSP) को पत्र लिखें।राज्य के गृह सचिव या पुलिस के डायरेक्टर जनरल को लिखें या मिलें।अपनी शिकायत चेयरमैन, राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (फरीद कोट हाऊस,कापरनिकस मार्ग, नई दिल्ली-110001) को भेजें। या अपने नजदीकी राज्य मानवाधिकार आयोग को भेजें जो कि हर राज्य में गठित है। स्थानीय मजिस्ट्रेट कोर्ट में निजी रुप से शिकायत दर्ज करें।हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिका दायर करें। हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को लिखें। उपयुक्त मामलों में यहपत्र सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट द्वारा रिट पत्र याचिका माने जा सकते हैं ।

कानूनी साक्ष्य
महिलाकी उम्र को निश्चित करने के लिए जन्म प्रमाणपत्र – जो उसे अपने स्कूल सेमिला हो या पंचायत कार्यालय से मिला हो या जन्म पंजीकरण कार्यालय से उसनेप्राप्त किया हो। डॉक्टरी साक्ष्य से जुटाए गए सबूत-पुरुष या महिला के गुप्तांग पर कोई चोट है,उस पुरुष या महिला के किसी अन्य शारीरिक अंगों पर कोई चोट के निशान हैं, जो संघर्ष का परिणाम हो सकते हैं,उस दोषी पुरुष या पीड़िता स्त्री के कपड़ों पर वीर्य या खून के छींटे हैं,पीड़िता या दोषी पुरुष के बालों का एक दूसरे के शरीर पर पाया जाना,स्त्री व पुरुष की अनुमानत: आयु जो उनके अंगों के भोतिक विकास या दांतों को बढ़ने आदि के अध्ययन से पता चलता है ।

  1. जिस महिला के साथ बलात्कार हुआ है पुलिस अधिकारी उसके अंदरुनी कपड़ों को रासायनिक जांच के लिए भेजें।
  2. डीएनए जांच द्वारा अपराध स्थल पर प्राप्त खून और वीर्य को अपराधी के खून व वीर्य से मिलकर अपराध सिद्ध किया जा  सकता है।
  3. भारतीय साक्ष्य अधिनियम की की उपधारा114-अ के मुताबिक बलात्कार के एकमामले में अगर अपराधी द्वारा यौन छेदन सिद्ध हो गया है और अब यह निश्चयकरना होता है कि यह महिला की स्वीकृति या उसकी गैर रजामंदी से हुआ है , तबन्यायालय को या मानना ही चाहिए कि बलात्कार में उसकी सहमति नहीं थी-अगर वहमहिला न्यायालय में यह बयान दे रही है  कि उसने स्वीकृति दी ही नहीं।
  4. बलात्कार के आरोप में मरते हुए व्यक्ति का बयान साक्ष्य के रुप में स्वीकार किया जाता है। इसमें कोई संदेह नहीं है ।
    बलात्कार संज्ञेय अपराधबलात्कार संज्ञेय (काबिले दस्तंदाजी) अपराध है तथा जमानत की मंजूरी पूर्णरुप से न्यायालय के स्वविवेक पर निर्भर करती है। पूर्ण रुप से बलात्कार के आरोप का परीक्षण केवल सत्र न्यायालय ही कर सकता है।

    बलात्कार के लिए दंड

    सामान्यत: बलात्कार के लिएक कम से कम 10 साल की सजा दी जाती है और अधिक से अधिक आजीवन कारावास तथा जुर्माना है। जुर्माने की राशि का निर्धारण न्यायाधीश के स्वविवेक के आधार पर होता है ।अपनी पत्नी के साथ बलात्कारकरने का दंड जो 12 साल से कम आयुक की नहीं है, दो साल का कारावास तथाजुर्माना है। जुर्माने की राशि का निर्धारम न्यायाधीश के स्वविवेक के आधारपर ही होता है । विशेष परिस्थित में न्यायालय 7 साल का भी सजा दे सकता है। बलात्कार दोषी पुलिस अधिकारी को 10 साल का कठोर कारावास या आजीवन कारावास जुर्माने के साथ होगा। एक सरकारी कर्मचारी अपने या अपने किसी अधीनस्थ की सुरक्षा में रखी हुई महिला के साथ बलात्कार करता है तो उसे 10 साल की सजा या आजीवन कारावास जुर्माने के साथ होगा।किसी प्रबंधन संस्थान का सदस्य या अस्पताल के कर्मचारी , जेल, हवालात के कर्मचारी , महिला या बच्चों की संस्थाओं  में रहने वाले सदस्यों में से किसी के साथ बलात्कार करते हैं तो उसे 10 साल की सजा या आजीवन कारावास जुर्माने के साथ होगा।एक पुरुष किसी गर्भवती महिला के साथ संभोग करता है या 12 साल से कम की किसी बच्ची के साथ बलात्कार करता है तो उसे 10 साल की सजा या आजीवन कारावास जुर्माने के साथ होगा। किसी स्त्री के साथ एक समूह जब बलात्कार करता है तब उपरोक्त दशाओं में कम से कम 10 साल का कठोर कारावास या आजीवन कारावास मिलता है ।

सामूहिक बलात्कार

जब किसी महिला से कई व्यक्ति मिलकर बलात्कार करते हैं तो उसे सामूहिक बलात्कार कहा जाता है । इसमें बलात्कार एक या कई लोगों के द्वारा किया जा सकता है , लेकिन इस दशा में सभी को बराबर का दोषी माने जायेंगे।

संरक्षकों द्वारा लैंगिक अपराध

अगर एक कर्मचारी या जेल का प्रबंधक , हवालात घर या महिला या बच्चों की संस्थाओं के अधीक्षक या प्रबंधक अपनी सरकारी स्थिति का फायदा उठकर किसी महिला को बहला – फुसलाकर लैंगिक समागम  करता है तो उसे 5 साल की सजा और जुर्माना हो सकता है ।हालांकि इस प्रकार का लैंगिक समागम बलात्कार का एक आरोप नहीं समझा जायेगा। अगर किसी अस्पताल का कर्मचारी या प्रबंधक अपनी आधिकारिक स्थिति का नाजायज लाभ उठाते हुए उस अस्पताल की किसी महिला के साथ लैंगिक समागम करते हैं तो उन्हें 5 साल की सजा और जुर्माने की सजा हो सकती है ।हालांकि ये अपराध भी बलात्कार नहीं समझा जायेगा ।

बलात्कार की कोशिश करना

भारतीय दण्ड संहिता की धारा 511 के तहत बलात्कार के लिए कोशिश करना भी अपराध है ।बलात्कार की कोशिश करने पर जुर्माने के साथ ही आजीवन कारावास के दण्ड की आधी सजा दी जाती है ।

बलात्कार पीड़ित की पहचान प्रकाशित करना अपराध

भारतीय दण्ड संहिता की धारा 228-अ के मुताबिक धारा 376, 376-ए, 376-बी, 376सी और 376डी के तहत यौन अपराधों से पीड़ित व्यक्ति का नाम या उसकी पहचान प्रकाशित करना एक अपराध है , जिसके लिए दो वर्ष की सजा व जुर्माना हो सकता है ।हालांकि अपराध की जांच पड़ताल करते समय किसी पुलिस अधिकारी के द्वारा सद्भावना में पीड़िता का नाम बताया जाना कोई अपराध नहीं समझा जाता है ।अगर पीड़िता प्रकाशित करने की अनुमति दे दे तो भी अपराध नहीं माना जायेगापीड़िता की मृत्यु , नाबालिग या पागल होने पर नजदीकी रिश्तेदार की सहमति से प्रकाशित करना अपराध नहीं माना जायेगा ।

बलात्कार से बचाव का अधिकार

भारतीय दंड संहिता की धारा 100(3) के मुताबिक महिलाओं को ये अधिकार है कि वह अपने ऊपर आक्रमण करने वाले पुरुष को मार दें, अगर उन्हें पता चलता है कि वह पुरुष उस पर बलात्कार की नीयत से आक्रमण करता है ।परीक्षण के दौरान महिला को अदालत के सामने प्रमाणित करने पड़ता है कि उसके पास आक्रमणकारी द्वारा बलात्कार से बचने के लिए उसको मारने के अतिरिक्त और कोई रास्ता नहीं बचा था ।

शील भंग करना या प्रतिष्ठा को नीचा दिखाना

महिलाओं पर घृणित अपराध उनके ऊपर अश्लील प्रहार(अश्लील कमेंट) करना है, जिससे उनकी गरिमा या शील भंग करने की नीयत स्पष्ट होती है।यह एक संज्ञेय अपराध है ।इसमें जमानत मिल जाती है ।यह राजीनामा करने योग्य अपराध नहीं है ।इस मामले का प्रथम या द्वितीय श्रेणी के दण्डाधिकारी परीक्षण करते हैं।इस अपराध में दो साल का कारावास या जुर्माना और अथवा दोनों की सजा देने का प्रावधान है ।

Published by Advocate Ravi Kashyap

Ravi Kashyap Advocate & CMD (Chief Managing Director) AVenture Entrepreneurs Group हमारा प्रयास आपका आवास